गोविंदा नहीं, यशवर्धन की अपनी पहचान होगी: मां सुनीता आहूजा का दिल छू लेने वाला संदेश

 

90 के दशक के सुपरस्टार – गोविंदा का अब भी कायम है जादू

बॉलीवुड जब भी अपनी सुनहरी यादों को दोहराता है, 90 का दशक और गोविंदा का नाम उसमें सबसे ऊपर आता है।
बेमिसाल डांस मूव्स, बिंदास कॉमिक टाइमिंग और ज़बरदस्त स्क्रीन प्रेज़ेंस ने उन्हें एक लीजेंड बना दिया।
राजा बाबू, कुली नंबर 1, हीरो नंबर 1, और बड़े मियां छोटे मियां जैसी हिट फिल्मों ने उन्हें जनता का चहेता बना दिया।

अब बेटा यशवर्धन आहूजा बना रहा है अपनी राह

अपनी शर्तों पर बॉलीवुड डेब्यू

अब गोविंदा के बेटे यशवर्धन आहूजा फिल्मी दुनिया में कदम रखने जा रहे हैं, लेकिन यह सफर पिता की नकल से नहीं, अपनी पहचान बनाकर तय होगा।

परिवार का पूरा साथ, लेकिन सोच अलग

यशवर्धन की मां सोना आहूजा ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा:

“गोविंदा की नकल मत करना, अपनी पहचान बनाओ।”

उनका मानना है कि यश को खुद की एक अलग शैली और व्यक्तित्व के साथ सामने आना चाहिए, ताकि वह सिर्फ गोविंदा का बेटा न लगें, बल्कि एक स्वतंत्र और प्रतिभाशाली कलाकार के रूप में पहचाने जाएं।

यशवर्धन की तैयारी: स्क्रिप्ट, डांस और नई सोच

सीरियस और पेशेवर तैयारी

सोना आहूजा बताती हैं कि यशवर्धन सिर्फ एक्टिंग नहीं, बल्कि स्क्रिप्ट से लेकर डांस और फिल्म की तकनीकी बारीकियों तक हर पहलू पर मेहनत कर रहे हैं।

“यश मेरे साथ स्क्रिप्ट्स पर चर्चा करता है, नई फिल्मों और कलाकारों पर रिसर्च करता है।”

परिवार से राय लेकर ले रहे हैं फैसले

यश ना सिर्फ अपने फैसलों में आत्मनिर्भर बन रहे हैं, बल्कि अनुभवी परिवारजनों से सलाह लेकर अपनी दिशा को और मजबूत बना रहे हैं।

पहला कदम: राय राजेश की फिल्म से डेब्यू

यशवर्धन आहूजा डायरेक्टर राय राजेश की अगली फिल्म से अपना बॉलीवुड डेब्यू करने जा रहे हैं।
यह फिल्म तेलुगू ब्लॉकबस्टर ‘बेबी’ की हिंदी रीमेक होगी, जिसमें बाबिल खान लीड रोल में नजर आए थे।

पहले भी सीखा है निर्देशन की बारीकियाँ

वरुण धवन और टाइगर श्रॉफ की फिल्मों में असिस्ट किया

यशवर्धन पर्दे के पीछे भी सक्रिय रहे हैं। उन्होंने ‘ढिशूम’ और ‘बागी 2’ जैसी फिल्मों में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम किया है।
इससे उन्हें फिल्म निर्माण की तकनीकी समझ और व्यावसायिक दृष्टिकोण भी मिला है।

पिता की झलक जरूर, लेकिन तुलना नहीं

गोविंदा की विरासत एक प्रेरणा

सोना आहूजा इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि उन्हें अपने पति की विरासत पर गर्व है। लेकिन वे चाहती हैं कि यश सिर्फ एक स्टार किड नहीं बल्कि एक खुद की मेहनत से बने स्टार के रूप में उभरें।

“हमें गोविंदा जैसा कोई नहीं मिलेगा। लेकिन यशवर्धन को यशवर्धन बनना है।”

आख़िर में: विरासत को सलाम, लेकिन मंज़िल अपनी हो

यशवर्धन की कहानी हर उस युवा की कहानी है, जो अपने सफल माता-पिता की परछाई से बाहर निकलकर खुद का नाम बनाना चाहता है।
उनकी मां की एक सलाह इस पूरे लेख का सार है:

“पिता की नकल मत करो, खुद की पहचान बनाओ।”

क्या होगी यशवर्धन की पहचान?

यह तो समय बताएगा कि यशवर्धन बॉलीवुड में क्या मुकाम हासिल करेंगे। लेकिन जो बात साफ है, वो ये कि:

  • उन्होंने अपनी यात्रा ईमानदारी से शुरू की है।
  • परिवार का सपोर्ट उनके साथ है, लेकिन निर्णय और मेहनत उनकी अपनी है।
  • वो खुद को गोविंदा नहीं, ‘यशवर्धन’ के रूप में देखना और दिखाना चाहते हैं।