काजोल EXCLUSIVE: “मेरी नानी और परनानी असली फेमिनिस्ट थीं, बिना ढिंढोरा पीटे उन्होंने जिंदगी बदली”

बॉलीवुड की दमदार अदाकारा काजोल इन दिनों चर्चा में हैं अपनी आने वाली फिल्म ‘मां’ को लेकर, जो कि उनके करियर की पहली हॉरर फिल्म है। इस खास बातचीत में काजोल ने न सिर्फ फिल्म और अपने अनुभव साझा किए, बल्कि महिलाओं पर थोपे गए “सुपरवुमन” टैग, ट्रोलिंग झेलते स्टार किड्स और परिवार में मिली फेमिनिज्म की परंपरा पर भी खुलकर बात की।


“मां बनने के साथ एक अलौकिक ताकत आती है”काजोल मानती हैं कि मातृत्व खुद में एक सुपरपावर है। उनका कहना है, “जब आप मां बनते हैं, तो एक अंदरूनी शक्ति अपने आप जाग जाती है। आप बिना सोए, तनाव में रहते हुए भी अपने बच्चे के लिए सब कुछ मैनेज कर लेते हैं। किसी रूल बुक के बिना, हम हर दिन एक नई चुनौती को संभालते हैं। अपने बच्चे की सुरक्षा के लिए कुछ भी कर सकते हैं। यही एक मां की ताकत है।”
“हम खुद को ही सुपरवुमन बना देते हैं”जब उनसे पूछा गया कि क्या औरतों पर ‘सुपरवुमन’ टैग एक बोझ बन जाता है, तो काजोल ने मुस्कराते हुए कहा, “सच कहूं, ये टैग किसी और ने नहीं, हमने खुद ने अपने ऊपर डाला है। हम खुद से उम्मीद रखते हैं कि सब कुछ परफेक्ट होना चाहिए। लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं होता। हर दिन कुछ नया होता है – कभी मैं अच्छी मां हूं, कभी बेहतर एक्ट्रेस, कभी जिम्मेदार बेटी या बहू। हर रोल मुझे नया बनाता है, और शायद यही मेरी ताकत भी है।”
“हॉरर में डेब्यू करना एक नया एक्सपीरियंस था”अपनी नई फिल्म ‘मां’ में काजोल पहली बार हॉरर जॉनर में नजर आएंगी। उन्होंने कहा, “एक्टिंग तो एक्टिंग होती है, लेकिन इस फिल्म में सबसे बड़ी चुनौती एक्शन थी। बहुत सारी VFX और फिजिकल एक्टिंग शामिल थी, जो मेरे लिए नया और थोड़ा मुश्किल था। राक्षस से लड़ती एक मां की कहानी को इस अंदाज़ में निभाना एक अनोखा अनुभव रहा।”
“मेरे पापा कहते थे – ये चूना उतरता नहीं!”इंडस्ट्री में 34 साल पूरे कर चुकीं काजोल को आज भी अपने करियर से वही लगाव है। वह हंसते हुए बताती हैं, “मेरी पहली फिल्म के समय मेरे डैडी ने कहा था – सोच लो बेटा, ये मेकअप का चूना एक बार लग गया तो कभी उतरेगा नहीं। तब मैंने कहा था – एक फिल्म कर लूंगी, फिर देखूंगी। लेकिन आज भी वही चूना लगा है और मैं उसी जुनून के साथ काम कर रही हूं।”अपनी फिल्म चॉइसेस पर बात करते हुए उन्होंने कहा, “हर एक्टर को खुद को फिर से गढ़ने की ज़रूरत होती है। जब आप खुद को सरप्राइज करते हैं, तभी आप समय के साथ प्रासंगिक बने रहते हैं।”
“बच्चों को ट्रोलिंग से पूरी तरह बचाना मुमकिन नहीं”आजकल स्टार किड्स को सोशल मीडिया के ज़रिए आलोचना और ट्रोलिंग का सामना करना पड़ता है। इस पर काजोल ने कहा, “आप उन्हें पूरी तरह प्रोटेक्ट नहीं कर सकते। हम सिर्फ समझा सकते हैं कि ये सब ज्यादा देर तक नहीं रहेगा, और तुम्हारी जिंदगी इससे कहीं बड़ी है। वो खुद समझते हैं और खुद ही सामना करना सीखते हैं।”
“मेरी नानी, परनानी असली फेमिनिस्ट थीं – शांति से, बिना शोर मचाए”काजोल ने अपनी फैमिली की महिलाओं का ज़िक्र करते हुए बताया कि कैसे उनके व्यक्तित्व पर उन सबका असर पड़ा। “मेरी मां तनुजा, मौसी नूतन, नानी शोभना समर्थ और परनानी रत्तन बाई – सबने अपने-अपने समय में बहुत कुछ हासिल किया। वे आत्मनिर्भर थीं, लेकिन कभी भी फेमिनिज्म का ढिंढोरा नहीं पीटा। मेरी नानी की पसंद थीं हैंडपेंटेड शिफॉन साड़ियां, पर साथ ही वो घर, बिजनेस और पैसा भी संभालती थीं। उन्होंने कभी चिल्ला-चिल्लाकर कुछ नहीं कहा, बस किया। यही असली फेमिनिज्म है।”
“पैपराजी कल्चर से थोड़ी चिढ़ होती है”पैपराजी को लेकर अक्सर काजोल का रिएक्शन सुर्खियों में रहता है। इस पर उन्होंने बेबाकी से कहा, “हां, ये उनका काम है कि हमारे पीछे आएं, लेकिन मुझे इससे थोड़ी परेशानी होती है। मैं जल्दी में रहती हूं, बहुत कुछ करना होता है, तो कैमरे की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देती। शायद यही चीज़ मेरे चेहरे पर झलक जाती है।”
अंत में…काजोल एक ऐसी कलाकार हैं, जो अपने हर जवाब में ईमानदारी, अनुभव और आत्मविश्वास लेकर आती हैं। उनकी नई फिल्म ‘मां’ एक अलग जॉनर में उनकी नई पारी की शुरुआत है, जो दिखाता है कि चाहे कितने भी साल बीत जाएं, काजोल खुद को लगातार रीइंवेंट करती रहेंगी—बिना शोर, बिना तामझाम।